Thursday, 22 February 2024

अद्वितीय श्रीराममंदिर निर्माण शुभारंभ

शांतिकुंज मार्ग पर भूपतवाला, हरिद्वार में अद्वितीय श्रीराममंदिर निर्माण का पुन: शुभारंभ हो गया। जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज ने गुरुवार, 22 फरवरी, माघ शुक्ला त्रियोदशी को विधिवत पूजन करते हुए निर्माण का शुभारंभ किया। सप्तऋषिघाट पर जाने वाले शांतिकुंज मार्ग पर निर्माणस्थल स्थित है। हरिद्वार में बनेगा श्रीराम का भव्य मंदिर। वर्ष 2005 से शुरू हुआ था निर्माण। केवल लाल पत्थरों से हो रहा है निर्माण। नींव के बाद से रुका हुआ था निर्माण। 

हरिद्वार। राम भक्ति परंपरा की जो मूल पीठ है, उसके माध्यम से देश का अद्वितीय श्रीराम मंदिर हरिद्वार में सृजित होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस अनुपम श्रीराम मंदिर का शिलान्यास 18 नवंबर 2005 को हुआ था। कुछ निर्माण पूर्व में हो चुका है और बीच में भूमि अतिक्रमण के कारण निर्माण थम गया था। अब इस अद्वितीय श्रीराम मंदिर का निर्माण पुन: 22 फरवरी को प्रारंभ हो गया है, मंदिर निर्माण के शुभारंभ के अवसर पर देश भर से राम भक्त जुट रहे हैं। 

यह रामानंद संप्रदाय के लिए बड़ी सुखद पावन सूचना है कि रामानंदाचार्य पीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज के सान्निध्य में निर्माण कार्य पूर्ण गरिमा व तीव्रता के साथ प्रारंभ हो गया है। रामानंदचार्य पीठ का मुख्यालय या मुख्य गद्दी श्रीमठ, पंचगंगा घाटी, काशी में स्थित है। यह वही स्थान है, जहां कभी राम भक्त शिरोमणि रामानंदाचार्य निवास करते थे। जहां से पूरे देश में भक्ति प्रेम की नई धारा बही थी और उद्घोष हुआ था, जात पात पूछे नहीं कोई हरि को भजे से हरि का होई।  

ध्यान रहे, रामभक्ति परंपरा का यही वह मूल पीठ है, जहां से भक्त धन्ना निकले थे, भक्त पीपा निकले थे, जहां से रविदास निकले थे, भक्त सैन निकले थे, जहां से कबीरदास और तुलसीदास निकले थे। रामभाव से सराबोर ऐसे संप्रदाय और मूल पीठ के नेतृत्व में हरिद्वार में श्रीराम मंदिर निर्माण का संकल्प करीब दो दशक पुराना है, जो अब पूरा होने जा रहा है।

निर्माण कार्य को गति प्रदान करने के लिए देश भर से रामानंद संप्रदाय से जुड़े साधुओं और श्रद्धालुओं का आगमन हरिद्वार में होने लगा है। यह अपनी तरह का अद्वितीय श्रीराम मंदिर होगा। यह मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से ही तैयार किया जा रहा है। 

यहां मंदिर में भगवान राम का पूर्ण वैदिक रीति से पूजन होगा। ईश्वर सेवा से जुड़ी सभी गतिविधियों की आदर्शतम परंपरा का निर्वाह यहां होगा। यह एक ऐसा मंदिर होगा, जो पूरी तरह से रामजी और उनके परिवार को समर्पित रहेगा। देश राम पूजन की जिन रीतियों को भूल सा गया है, उन रीतियों के दर्शन यहां संभव होंगे। विद्वानों और संतों का एक विशाल समूह है, जो वर्षों से इस मंदिर की प्रतीक्षा में है। रामानंद संप्रदाय से जुड़े साधुओं-संतों का संकल्प है कि इस अद्वितीय श्रीराममंदिर का निर्माण अब यथाशीघ्र पूर्ण हो।

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