संसार के जो महामनीषी श्रीराम को भगवान के रूप में नहीं स्वीकार करते वे भी उन्हें विश्व इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मानव मानते ही हैं। विश्व के किसी भी देश, जाति, संप्रदाय एवं धर्म के पास श्रीराम जैसे चरित्रनायक नहीं है। वर्तमान संसार की अखिल संस्कृतियां श्रीरामसंस्कृति की ही जीर्ण-शीर्ण-विकृत एवं मिश्रित स्वरूप है। यह संस्कृति अनुसंधान नायको की प्रबलतम भावना है। ऐसे मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का मंदिर कहां नहीं होना चाहिए? संसार के सभी क्षेत्रों कालों एवं दिशाओं में होना चाहिए, तभी तो मानवता का सम्पूर्ण विकास होगा। धर्म की स्थापना होगी एवं तभी रामराज्य की स्थापना होगी।
अति उत्तम शास्त्री जी,
ReplyDeleteआपका यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है
इस सराहनी प्रयास हेतु आपको बहुत बहुत बधाई
बस एक निवेदन है कि आप जो भी लेख इस बब्लाग में लिखें उसे फेसबुक पर या ग्रुप में जरुर शेयर करें।
एक बार पुनः बधाई ..........
जय सिया राम!
Namaskar Gyanesh je
ReplyDeleteI got the news of the new blog by Respected Koushlendra je . please Accept my good wishes and heartiest greetings for a holy blog, dedicated to our Gurudev HH Swami Ramanareshacharya je. I request you to visit my blogs too.-ramanandacharya.blogspot.com
Regds
Pukhraj
Hyd
jai siya ram
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