Wednesday, 28 June 2017

पायो परम बिश्रामु

भाग - ४
अभी तमाम तरह की विकृतियों से युक्त जो लोग हो रहे हैं, उन्हें गोस्वामी जी को अवश्य पढऩा चाहिए। सभी लोग उसी रीति से प्रयास करें। रामचरितमानस कालजयी रचना है। गोस्वामी जी की सभी रचनाएं मानक हैं। 
सृष्टि के लिए सबकुछ शुभ-शुभ मंगल देने वाला, हमें उनके बारह ग्रंथों के रूप में प्राप्त हुआ। वह केवल किसी मरे हुए को जिंदा कर देना, किसी बीमार को जिंदा कर देना, ये चमत्कारिक घटनाएं बहुत छोटी हैं।
करपात्री जी महाराज कहते थे कि सनातन धर्म में ऐसे चमत्कार दिखाने वाले लौंडा महात्मा होते हैं। गंगा में पैदल चल गया, इससे मानव जाति या सृष्टि का कोई भला नहीं होगा। इससे तो बेहतर वे लोग हैं जो ठगी कर रहे हैं। जब तक आदमी सही कर्म से नहीं जुड़ेगा, उसका कल्याण नहीं होगा। 
गोस्वामी जी ने इतना सब किया, उनसे लोगों ने पूछा कि आपने क्या किया, आपको क्या मिला? उन्होंने उत्तर दिया - पायो परम विश्राम... मैंने परम विश्राम को प्राप्त कर लिया। अब कभी थकावट नहीं होगी। हमने धन्य जीवन को प्राप्त कर लिया। राम जी की कृपा से ही यह प्राप्त हुआ। 
जैसे मनुष्य राष्ट्र के लिए सबकुछ करे, लेकिन महत्व ईश्वर को दे। उनकी कृपा से ऐसा हो गया। हनुमान जी ने लंका में खूब काम किए, लेकिन कहा कि मैंने कुछ नहीं किया, जो भी किया राम जी की कृपा से किया। 
राम भाव और रावण भाव में यही फर्क है। लंका के लोग कहते हैं कि यह जो भी किया मैंने किया, मैंने ही किया, लेकिन अयोध्या के लोग कहते हैं, जो किया ईश्वर ने किया, उन्हीं की कृपा से सब संभव हुआ। भारत से सारी बुराइयों को निकालने का मार्ग यही है कि कर्म का श्रेय ईश्वर को दिया जाए। गोस्वामी जी के पास कर्म योग भी है, ज्ञान योग भी है। कहा लोगों ने कि यह पहला महाकाव्य है कि जिसमें इतिहास भी है, दर्शन भी है, काव्य भी है, ऐसा कोई भी महाकाव्य नहीं है, जिसे इतिहास भी कहा जाए, काव्य भी कहा जाए और दर्शन भी कहा जाए। 
उनके ग्रंथ सूर्य के समान हैं, जो सबको जीवनी शक्ति देता है। गोस्वामी जी भक्त शिरोमणि हैं। हनुमान जी को भी भक्त शिरोमणि कहा जाता है, वे भक्त भी हैं ज्ञानी भी हैं, कर्मयोगी भी हैं। लोगों को धन्य जीवन देने वाले, करोड़ों लोग इससे प्रेरित होकर जीवन जी रहे हैं। 
संपूर्ण संसार के लोगों को यह कहना चाह रहा हूं कि शास्त्रों के संदर्भ में देखिए कि हम क्या कर रहे हैं, कहीं गलत तो नहीं कर रहे। सब शास्त्र सम्मत कर रहे हैं क्या? धन कमाना, परिवार कमाना, शक्ति कमाना, साथ-साथ ईश्वर प्रेम से ओतप्रोत होना। भगवान की संतुष्टि के लिए हम कर्म करें। लोगों को दिखाने के लिए हम न करें। गोस्वामी जी का जो जीवन काल है, उससे लेकर आज तक वे एक बड़े समुदाय के लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। 
हमें उन पर चर्चा करते हुए और भी खुशी हो रही है कि वे रामानंद संप्रदाय की परंपरा से आते हैं। जिस पीठ में मैं सेवारत हूं, उसकी चौथी पीढ़ी में गोस्वामी जी का अवतरण हुआ। रामानंदाचार्य जी के शिष्य अनंतानंद जी थे, उनके शिष्य नरहरिदास जी और उनके शिष्य हुए तुलसीदास जी। तुलसीदास जी ने लिखा है कि नरहरिदास जी अगर नहीं मिले होते, तो मैं नहीं मानता कि दया नाम की कोई चीज है। मेरा जीवन बिलख रहा था, कोई छाया नहीं थी, लेकिन नरहरिदास जी ने मेरे लौकिक जीवन को भी संभाला, ज्ञान की धारा से भी जोड़ा, सर्वश्रेष्ठ भक्ति की धारा में खड़ा करके मुझे धन्य बना दिया। 
कहा जाता है कि हनुमान जी ने राम जी को वश में कर लिया था, कहा जा सकता है कि गोस्वामी जी ने भी राम जी को वश में कर लिया। आपको जो भी चाहिए कि राम जी के जैसा जीवन करके प्राप्त कीजिए। हम सभी के लिए वे गौरव हैं। 
क्रमश:

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