काशी में देव दीपावली के भव्य आयोजन की शुरुआत 1985 में पंचगंगा घाट से ही हुई थी। यह वही घाट है, जहां रामानंदाचार्य संप्रदाय का मूल श्रीमठ विराजमान है।
वैसे तो बनारस के घाटों पर रोज ही सैंकड़ों दीये जलते हैं, लेकिन देव दीपावली मनाने की शुरुआत नई है। आखिर क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?
पुराणों के अनुसार, बताया जाता है कि त्रिपुरासुर राक्षस का आतंक तीनों लोकों में बहुत बढ़ गया था। देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का अंत कर दिया। वह त्रिपुरारि कहलाए। इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था। तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली का विधान रहा है।
वर्तमान रामानंदाचार्य जगद्गुरु स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में पंचगंगा घाट पर संपूर्ण भक्ति भाव से पूजन करते हुए देव दीपावली का आयोजन होता है। श्रीमठ में ऐतिहासिक महत्व का हजारा स्थित है, जिस पर देव दीपावली के अवसर पर एक साथ हजार दीप प्रज्ज्वलित किए जाते हैं।
No comments:
Post a Comment