रामजी का युद्ध सत्य की रक्षा के लिए था, सत्ता के लिए नहीं। आज जो भी युद्ध हो रहे हैं, सत्ता पाने के लिए हो रहे हैं। सत्य के लिए युद्ध कोई नहीं करता। सत्य हारता नहीं, लेकिन परेशान अवश्य होता है। राम ने रावण का वध लंका का राज्य पाने के लिए नहीं किया, उन्होंने तो रावण की सत्ता भी विभीषण को सौंप दी थी। सीता सेवा है तो राम वैराग्य। लक्ष्मण ज्ञान है और हनुमान चेतना। यदि हमारा शरीर पंचवटी जैसा होगा, तो ही मन, बुद्धि और चित्त में अहंकार का प्रवेश नहीं हो पाएगा। हनुमान जैसी भक्ति और शक्ति ही राक्षसी प्रवृत्तियों का नाश करने में सक्षम होगी।
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