Saturday, 17 August 2024

गुरुदेव महाराज की जय


भगवान के धाम जाने की दूसरी सीढ़ी निर्वेद है। निर्वेद का अर्थ है ऊबना। जब इह लोक से आप ऊबेंगे, तभी परलोक में पहुंचने की इच्छा जागेगी।
अभी हम जहां रह रहे हैं, वहां से जब ऊबने लगेंगे, तभी हमारी आगे की यात्रा शुरू होगी। इस घर से ऊबेंगे, तभी तो भगवान के घर जाने का मन होगा।
भगवान के धाम जाने के लिए विरक्ति या वैराग्य भी जरूरी है, वरना मनुष्य का जीवन नाना प्रकार के लोभ-मोह में ही बीत जाएगा। 
जब व्यक्ति को विवेक होता है, तब वह निरर्थक कर्मों से ऊबने लगता है और उसके बाद ही उसके मन में वैराग्य का जागता है।



 

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