वैसे ऐसा भी नहीं करो कि कर्म करना ही छोड़ दो। जीने के लिए कर्म करना जरूरी है। गीता में भगवान ने कहा कि कोई शरीरधारी कर्म के बिना नहीं रह सकता। अभी आपको लग रहा होगा, हम तो कुछ कर्म कर ही नहीं रहे हैं, लेकिन यह सच नहीं है। ज्ञानेन्द्रीय हैं, कान है, जिससे आप ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। आप यहां प्रवचन में बैठे हैं, यह भी कर्म है, इसमें बहुत जोर लगता है। एक मुद्रा में बैठना पड़ता है। वश चले, तो लोग हमारी ओर ही पैर कर लें। सोना भी क्रिया है। अभिप्राय यह कि भगवान ने कहा कि कर्म करो, तो शास्त्रों से पूछ कर करो, मनमानी करोगे, तो रावण बन जाओगे। कोई नौकरी करने जाता है, तो नौकरी देने वाले के उद्देश्य, क्रिया और प्रक्रियाओं की पालना करता है। नौकरी में मनमानी नहीं चल सकती। शास्त्रों के अनुरूप ही कर्म करना चाहिए, अच्छे कर्म करने चाहिए और फल के लिए ईश्वर पर विश्वास रखना चाहिए।
धर्म के ज्ञान से ही व्यक्ति को जीने की कला आती है.
Saturday, 15 July 2023
ईश्वर पर विश्वास रखें
भगवान ने कहा कि कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। देखिए, हर आदमी ज्यादा से ज्यादा फल चाहता है, भले काम थोड़ा करे। यदि फल लेना मनुष्य के हाथों में होता है, तो हर मनुष्य ज्यादा से ज्यादा फल जुटाने में लग जाता। अराजकता हो जाती। जैसे घर में कोई महिला भोजन बनाए और बच्चों को देने में पक्षपात करने लगे। देवर को देने में पक्षपात करने लगे, सास-ससुर और अतिथि में भेदभाव करने लगे, तो सारे संबंध चौपट हो जाएंगे। ईश्वर ऐसा कभी नहीं करता, इसलिए ईश्वर ने कहा कि तुम्हारा अधिकार नहीं है कि तुम फल उत्पन्न कर लो। भगवान की दया से हम कर्म करते रहें, लेकिन उसका फल कौन देगा, ईश्वर में विश्वास रखें।
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