हरिद्वार में 22 फरवरी को भव्य आयोजन। सप्तऋषिघाट पर जाने वाले शांतिकुंज मार्ग पर निर्माणस्थल। हरिद्वार में बनेगा श्रीराम का भव्य मंदिर। वर्ष 2005 से शुरू हुआ था निर्माण। केवल पत्थरों से हो रहा है निर्माण। नींव के बाद से रुका हुआ था निर्माण।
हरिद्वार। राम भक्ति परंपरा की जो मूल पीठ है, उसके माध्यम से देश का अद्वितीय श्रीराम मंदिर हरिद्वार में सृजित होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस अनुपम श्रीराम मंदिर का शिलान्यास 18 नवंबर 2005 को हुआ था। कुछ निर्माण पूर्व में हो चुका है और बीच में भूमि अतिक्रमण के कारण निर्माण थम गया था। अब इस अद्वितीय श्रीराम मंदिर का निर्माण पुन: 22 फरवरी को प्रारंभ होने जा रहा है, जिसमें देश भर से राम भक्त जुट रहे हैं।
रामानंदाचार्य पीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज के सान्निध्य में निर्माण कार्य पूर्ण गरिमा व तीव्रता के साथ प्रारंभ हो जाएगा। रामानंदचार्य पीठ का मुख्यालय या मुख्य गद्दी श्रीमठ, पंचगंगा घाटी, काशी में स्थित है। यह वही स्थान है, जहां कभी राम भक्त शिरोमणि रामानंदाचार्य निवास करते थे। जहां से पूरे देश में भक्ति प्रेम की नई धारा बही थी और उद्घोष हुआ था, जात पात पूछे नहीं कोई हरि को भजे से हरि का होई।
ध्यान रहे, रामभक्ति परंपरा का यही वह मूल पीठ है, जहां से भक्त धन्ना निकले थे, भक्त पीपा निकले थे, जहां से रविदास निकले थे, भक्त सैन निकले थे, जहां से कबीरदास और तुलसीदास निकले थे। रामभाव से सराबोर ऐसे संप्रदाय और मूल पीठ के नेतृत्व में हरिद्वार में श्रीराम मंदिर निर्माण का संकल्प करीब दो दशक पुराना है, जो अब पूरा होने जा रहा है।
निर्माण कार्य को गति प्रदान करने के लिए देश भर से रामानंद संप्रदाय से जुड़े साधुओं और श्रद्धालुओं का आगमन हरिद्वार में होगा। यह अपनी तरह का अद्वितीय श्रीराम मंदिर होगा। यह मंदिर पूरी तरह से पत्थरों से ही तैयार किया जा रहा है।
राम भाव से राम मंदिर तक
अद्वितीय श्रीराम मंदिर निर्माण में अनावश्यक विलंब अतिक्रमण के कारण भी आया। कानूनन सभी कागजात होने के बाद अतिक्रमियों को बलपूर्वक भी हटाया जा सकता था, किंतु रामानंद संप्रदाय के वर्तमान मूल पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज की इच्छा थी कि रामजी के कार्य में किसी का भी हृदय दुखी नहीं होना चाहिए। जो भी कार्य होना चाहिए संविधान के तहत पूरी गरिमा व मर्यादा की रक्षा करते हुए होना चाहिए। यह स्वर्णिम इतिहास ही है कि रामानंद संप्रदाय ने भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए न्यायालयों में लंबी लड़ाई लड़ी है और हर विधि सम्मत नियम-कायदों का पालन करते हुए मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
दान में भी राम भाव
यह बात बहुत उल्लेखनीय है कि श्रीराम जी का यह मंदिर पूरी तरह से रामभाव के अधीन ही निर्मित होगा। इसमें धन देने वालों के व्यवसाय और प्रवृत्ति का भी अब तक पूरा ध्यान रखा गया है। किसी भी अपराधी या नशा या गलत द्रव्यों का व्यवसाय करने वाले से किसी भी प्रकार का धन या सहयोग न लेने का संकल्प है। अभी तक श्रीराम के मंदिर में रामभाव से अर्जित धन का ही उपयोग होता आया है। रामजी के मंदिर में गलत ढंग से अर्जित धन का उपयोग भला कैसे हो सकता है? जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज बार-बार दोहराते रहे हैं कि पाप से अर्जित धन से पुण्य का प्रतीक मंदिर भला कैसे खड़ा हो सकता है?
समायोजक : रामानंदाचार्य स्मारक सेवा न्याय
खाता संख्या : 10876860158
आईएफएससी कोड - SBIN 0002350
भारतीय स्टेट बैंक, हरिद्वार, उत्तरांचल
निर्माण स्थल
सप्तऋषि मार्ग या शांतिकुंज मार्ग, भूपतवाला, हरिद्वार
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