चित्र श्री हिमांशु व्यास जी ने लिए हैं |
इसलिए भातृत्व को महत्व देने की पुरानी परंपरा है। यह सर्वश्रेष्ठ आधार है, अन्य सम्बंधों का आधार उतना मजबूत नहीं है, इतना बड़ा नहीं है, इतना व्यवस्थित और समर्पित नहीं है। भातृत्व का आधार संसार में सबसे सशक्त होता है। भगवान की दया से, माता के सारे संस्कार पुत्रों में आते हैं, संतति में आते हैं, तो आदमी सोचता है कि जैसी मेरी मां है, वैसे ही मेरे भाई हैं। मां जैसे जीवन भर सम्बंध का निर्वाह करती है निश्छल भाव से समर्पित होकर, वैसे ही मेरा भाई भी करेगा। मेरे लोक और परलोक दोनों का ही साधक होगा, विशेष सम्बंध वाला होगा।
क्रमश:
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