यदि किसी व्यक्ति का खान-पान घर में ही बिगड़ चुका हो, संयमित-नियंत्रित न हो, तो वह दुकानों या उत्सवों में कहीं भी खान-पान में संयमित नहीं हो सकता, वह जहां खाएगा-पीएगा अनियंत्रित हो जाएगा। वासना सभी को होती है, कितना भी बड़ा आदमी हो, आश्रम में हो या संस्था में हो, सबमें इन्द्रियां हैं, सबका मन होता है कि हमें यह मिल जाता, किन्तु मन को समझाना पड़ता है, तभी वह संयमित होता है।
जब छूट मिल गई घर में, छूट मिल गई विश्वविद्यालय में, छूट मिल गई सडक़ पर, तो विकृति बढ़ती गई, शराब पीते-पीते जैसे आदमी पियक्कड़ हो जाता, सिगरेट पीते-पीते जैसे चेन स्मोकर हो जाता है, वैसे ही व्यक्ति चरित्र का पतन होने पर कहीं भी अपने को रोक नहीं पाता है। कोई वस्तु हो या स्त्री, कैसे भी प्राप्त करने की चेष्टा करता है। तो विश्वविद्यालयों का वातावरण सुधरना चाहिए, वो अच्छी शिक्षा के लिए ही बने हैं।
इधर एक विकृति ज्यादा दिख रही है, युवक-युवती मुंह बांधकर सिर ढककर एक दूसरे से चिपककर सडक़ों पर निकलने लगे हैं। गाड़ी पर बैठने का भी एक तरीका है, जो मुद्रा या आचरण गाड़ी पर आवश्यक नहीं है, उसे अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पहले कड़ी सुरक्षा होती थी, पंजाब में जब आतंकवाद था, लोगों को मुंह बांधकर वाहन चलाने नहीं दिया जाता था, आज भी गाडिय़ों पर से काले शीशे उतार दिए जाते हैं। कुंभ मेले में ही जितनी गाडिय़ां आईं, किसी पर काला शीशा नहीं रहने दिया गया। यह सुरक्षा के लिए जरूरी है, किन्तु मुंह बांधकर यात्रा को कैसे अनुमति दी जा रही है। खुलेआम सडक़ पर गलत मुद्रा में किसी को जाने क्यों दिया जा रहा है? कड़ाई होनी चाहिए, पूछताछ होनी चाहिए, कोई भाई-बहन है, पति-पत्नी है, तो प्रमाण दे और उन्हें शालीनता से जाने दिया जाए, किन्तु बाकी लोगों पर रोक लगनी चाहिए। मुंह छिपाकर यात्रा की छूट से भी वास्तव में वासना बढ़ रही है। अनेक युवा व लोग रोज साथी बदलने लगे हैं। सुबह किसी के साथ दोपहर किसी के साथ, संध्या को किसी के साथ, तो रात किसी के साथ। यह समाज को क्या हो गया है? एक चरित्रवान समाज में केवल वैध सम्बंधों को ही बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय के परिसर, सडक़ और सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह के अश्लील आचरण पर रोक लगनी चाहिए। सख्त कानून बनना चाहिए।
इधर, टेलीविजन से भी वासना को बढ़ावा मिला है। अनेक टीवी चैनलों ने विकृतियों को उकसाने का काम किया है। अश्लीलता को रोकना चाहिए। लोग फिल्म में देखते हैं, तो उनका भी मन होता है, मनुष्य का स्वभाव है, देखकर आदमी सीखता है। इतने बड़े प्रसारण दुनिया भर में चल रहे हैं, इन चैनलों से हमारा क्या लाभ है? जो लाभदायक हैं, उन्हें इजाजत मिले, लेकिन जो गलत हैं, उन पर रोक लगनी चाहिए। गलत हवा को रोकना होगा। सजा निर्धारित होनी चाहिए। विकृत मानसिकता का व्यक्ति अब मरने या नपुंसक होने की भी चिंता नहीं करता, मानो अच्छा चिंतन ही खतरे में पड़ गया हो।
जो अपराधी हैं, जो बलात्कारी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए, त्वरित न्याय होना चाहिए और फिर उसका प्रचार किया जाना चाहिए। दोषी को भी बताया जाए और बाकी लोगों को भी खूब बताया जाए कि दंड क्यों दिया जा रहा है। इसका जितना प्रचार संभव है, किया जाए। लोगों को शिक्षा मिलनी चाहिए।
पहले के समय में चरित्र का महत्व था, लेकिन अब लोग या सरकार भी चरित्र देखकर फैसला नहीं लेती है। चरित्रहीन लोग भी बड़े पदों पर बैठ जाते हैं। हर तरह की पढ़ाई हो रही है, तो चरित्र निर्माण का भी पाठ्यक्रम हो, चरित्र की पढ़ाई हो, चरित्रवान लोगों का सम्मान होना चाहिए। प्रशासन में भी अच्छे लोगों को जगह मिलनी चाहिए। डिग्री और संपत्ति के आधार पर निर्णय होता है, लेकिन चरित्र के आधार पर भी निर्णय होना चाहिए। चरित्र ठीक नहीं है, तो बड़ा काम नहीं मिलना चाहिए, चुनावी टिकट नहीं मिलना चाहिए।
अब सरकार की बात, जिसके पास रोजगार नहीं हो, प्रकाश नहीं हो, जीवन के लिए, कहीं से कोई आधार नहीं हो, तो वह क्या करेगा? बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी, तो क्या होगा? कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, हर आदत बिगडऩे लगती है पीने, खाने, जीने में। नशा करना, जहां मन भटक गया, वहां चले जाना। तमाम वर्जनाओं को छोडक़र वासना की पूर्ति में लग जाना। नि:संदेह युवाओं की बहुत उपेक्षा हो रही है। सरकार को इन युवाओं को रोजगार देना चाहिए। अधिक से अधिक मात्रा में रोजगार हो। रोजगार देने के बाद निगरानी की आवश्यकता है। स्पष्ट होना चाहिए कि ऑफिस में गलत होने पर निकाल देंगे। यह बाध्यकारी होना चाहिए, यदि आपने मर्यादा के खिलाफ कुछ किया है, तो हम वेतन काट लेंगे, जुर्माना करेंगे। जो लोग प्रशासन में हैं, उन्हें चरित्रवान होना चाहिए और चरित्र के लिए दूसरों पर भी कड़ाई होनी चाहिए। हमारा इतना बड़ा देश है, कहा जाता है कि युवाओं का देश है। यहां एक से एक मेधावी युवा हुए हैं। निश्चित रूप से यहां के लोगों में ऊर्जा है, इस ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सकार को विभिन्न योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। चरित्र के आधार पर राष्ट्रीय, शासकीय और जिला स्तर पर सम्मान हो। जैसे शरीर और पैसे का मूल्यांकन होता है, वैसे ही चरित्र के लिए भी मूल्यांकन होना चाहिए। यदि आज तक अभद्र व्यवहार नहीं किया, किसी लडक़ी या शिक्षक के साथ गलत नहीं किया, बिना अर्थ कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं किया, तो इसके लिए भी अंक होने चाहिए। जैसे खेलकूद और चित्र के भी अंक जुड़ते हैं, एनसीसी के भी अंक जुड़ते हैं, ठीक उसी तरह से चरित्र के भी अंक जुडऩे चाहिए। अच्छा चरित्र होगा, तो ज्यादा अंक दिया जाए। बाकी विषयों के अंक के साथ चरित्र का भी अंक जोड़ा जाए। राष्ट्र के स्तर पर चरित्र सुधार के लिए सरकार को ऐसे उपाय करने होंगे। सरकार चरित्रवान लोगों को सामाजिक रूप से आगे बढ़ाए, सम्मानित कराए, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। आवेदन में एक कॉलम दे दें कि जो चरित्रवान लोग होंगे, उन्हें अच्छा पद मिलेगा, अच्छी तरक्की दी जाएगी।
क्रमश:
जब छूट मिल गई घर में, छूट मिल गई विश्वविद्यालय में, छूट मिल गई सडक़ पर, तो विकृति बढ़ती गई, शराब पीते-पीते जैसे आदमी पियक्कड़ हो जाता, सिगरेट पीते-पीते जैसे चेन स्मोकर हो जाता है, वैसे ही व्यक्ति चरित्र का पतन होने पर कहीं भी अपने को रोक नहीं पाता है। कोई वस्तु हो या स्त्री, कैसे भी प्राप्त करने की चेष्टा करता है। तो विश्वविद्यालयों का वातावरण सुधरना चाहिए, वो अच्छी शिक्षा के लिए ही बने हैं।
इधर एक विकृति ज्यादा दिख रही है, युवक-युवती मुंह बांधकर सिर ढककर एक दूसरे से चिपककर सडक़ों पर निकलने लगे हैं। गाड़ी पर बैठने का भी एक तरीका है, जो मुद्रा या आचरण गाड़ी पर आवश्यक नहीं है, उसे अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। पहले कड़ी सुरक्षा होती थी, पंजाब में जब आतंकवाद था, लोगों को मुंह बांधकर वाहन चलाने नहीं दिया जाता था, आज भी गाडिय़ों पर से काले शीशे उतार दिए जाते हैं। कुंभ मेले में ही जितनी गाडिय़ां आईं, किसी पर काला शीशा नहीं रहने दिया गया। यह सुरक्षा के लिए जरूरी है, किन्तु मुंह बांधकर यात्रा को कैसे अनुमति दी जा रही है। खुलेआम सडक़ पर गलत मुद्रा में किसी को जाने क्यों दिया जा रहा है? कड़ाई होनी चाहिए, पूछताछ होनी चाहिए, कोई भाई-बहन है, पति-पत्नी है, तो प्रमाण दे और उन्हें शालीनता से जाने दिया जाए, किन्तु बाकी लोगों पर रोक लगनी चाहिए। मुंह छिपाकर यात्रा की छूट से भी वास्तव में वासना बढ़ रही है। अनेक युवा व लोग रोज साथी बदलने लगे हैं। सुबह किसी के साथ दोपहर किसी के साथ, संध्या को किसी के साथ, तो रात किसी के साथ। यह समाज को क्या हो गया है? एक चरित्रवान समाज में केवल वैध सम्बंधों को ही बढ़ावा देना होगा। विश्वविद्यालय के परिसर, सडक़ और सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह के अश्लील आचरण पर रोक लगनी चाहिए। सख्त कानून बनना चाहिए।
इधर, टेलीविजन से भी वासना को बढ़ावा मिला है। अनेक टीवी चैनलों ने विकृतियों को उकसाने का काम किया है। अश्लीलता को रोकना चाहिए। लोग फिल्म में देखते हैं, तो उनका भी मन होता है, मनुष्य का स्वभाव है, देखकर आदमी सीखता है। इतने बड़े प्रसारण दुनिया भर में चल रहे हैं, इन चैनलों से हमारा क्या लाभ है? जो लाभदायक हैं, उन्हें इजाजत मिले, लेकिन जो गलत हैं, उन पर रोक लगनी चाहिए। गलत हवा को रोकना होगा। सजा निर्धारित होनी चाहिए। विकृत मानसिकता का व्यक्ति अब मरने या नपुंसक होने की भी चिंता नहीं करता, मानो अच्छा चिंतन ही खतरे में पड़ गया हो।
जो अपराधी हैं, जो बलात्कारी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए, त्वरित न्याय होना चाहिए और फिर उसका प्रचार किया जाना चाहिए। दोषी को भी बताया जाए और बाकी लोगों को भी खूब बताया जाए कि दंड क्यों दिया जा रहा है। इसका जितना प्रचार संभव है, किया जाए। लोगों को शिक्षा मिलनी चाहिए।
पहले के समय में चरित्र का महत्व था, लेकिन अब लोग या सरकार भी चरित्र देखकर फैसला नहीं लेती है। चरित्रहीन लोग भी बड़े पदों पर बैठ जाते हैं। हर तरह की पढ़ाई हो रही है, तो चरित्र निर्माण का भी पाठ्यक्रम हो, चरित्र की पढ़ाई हो, चरित्रवान लोगों का सम्मान होना चाहिए। प्रशासन में भी अच्छे लोगों को जगह मिलनी चाहिए। डिग्री और संपत्ति के आधार पर निर्णय होता है, लेकिन चरित्र के आधार पर भी निर्णय होना चाहिए। चरित्र ठीक नहीं है, तो बड़ा काम नहीं मिलना चाहिए, चुनावी टिकट नहीं मिलना चाहिए।
अब सरकार की बात, जिसके पास रोजगार नहीं हो, प्रकाश नहीं हो, जीवन के लिए, कहीं से कोई आधार नहीं हो, तो वह क्या करेगा? बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी, तो क्या होगा? कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है, हर आदत बिगडऩे लगती है पीने, खाने, जीने में। नशा करना, जहां मन भटक गया, वहां चले जाना। तमाम वर्जनाओं को छोडक़र वासना की पूर्ति में लग जाना। नि:संदेह युवाओं की बहुत उपेक्षा हो रही है। सरकार को इन युवाओं को रोजगार देना चाहिए। अधिक से अधिक मात्रा में रोजगार हो। रोजगार देने के बाद निगरानी की आवश्यकता है। स्पष्ट होना चाहिए कि ऑफिस में गलत होने पर निकाल देंगे। यह बाध्यकारी होना चाहिए, यदि आपने मर्यादा के खिलाफ कुछ किया है, तो हम वेतन काट लेंगे, जुर्माना करेंगे। जो लोग प्रशासन में हैं, उन्हें चरित्रवान होना चाहिए और चरित्र के लिए दूसरों पर भी कड़ाई होनी चाहिए। हमारा इतना बड़ा देश है, कहा जाता है कि युवाओं का देश है। यहां एक से एक मेधावी युवा हुए हैं। निश्चित रूप से यहां के लोगों में ऊर्जा है, इस ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सकार को विभिन्न योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। चरित्र के आधार पर राष्ट्रीय, शासकीय और जिला स्तर पर सम्मान हो। जैसे शरीर और पैसे का मूल्यांकन होता है, वैसे ही चरित्र के लिए भी मूल्यांकन होना चाहिए। यदि आज तक अभद्र व्यवहार नहीं किया, किसी लडक़ी या शिक्षक के साथ गलत नहीं किया, बिना अर्थ कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं किया, तो इसके लिए भी अंक होने चाहिए। जैसे खेलकूद और चित्र के भी अंक जुड़ते हैं, एनसीसी के भी अंक जुड़ते हैं, ठीक उसी तरह से चरित्र के भी अंक जुडऩे चाहिए। अच्छा चरित्र होगा, तो ज्यादा अंक दिया जाए। बाकी विषयों के अंक के साथ चरित्र का भी अंक जोड़ा जाए। राष्ट्र के स्तर पर चरित्र सुधार के लिए सरकार को ऐसे उपाय करने होंगे। सरकार चरित्रवान लोगों को सामाजिक रूप से आगे बढ़ाए, सम्मानित कराए, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। आवेदन में एक कॉलम दे दें कि जो चरित्रवान लोग होंगे, उन्हें अच्छा पद मिलेगा, अच्छी तरक्की दी जाएगी।
क्रमश:
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