Saturday, 4 November 2017

महर्षि मनु भाग - 5

: दुनिया के पहले संविधान निर्माता :
स्मृतियों को भी हमारी परंपरा में पूर्ण सम्मान-मान्यता पात्र है, स्मृतियां तभी प्रामाणिक होती हैं, जब वे वेद सम्मत होती हैं। वेद के अभिप्रायों का ही स्मृतियां स्मरण दिलाती हैं। आम आदमी तक वेद को पहुंचाने का यह प्रयास है। पहले यह वर्णन था कि वेद को सभी लोग नहीं पढ़ेंगे। तो कहा गया कि जो वेद नहीं पढ़ सकता, वह स्मृतियों को पढ़े, उपनिषद को पढ़े, पुराणों को पढ़े, इतिहास पढ़े। परिष्कार होता गया। बाद में समस्त समाज को यह अधिकार मिला कि वेद कोई भी पढ़ सकता है। लेकिन यह बताइए कि देश की गोपनीय फाइलों को सभी लोग पढ़ते हैं क्या? युद्ध के लिए जो बड़े हथियार बने हुए हैं, क्या वो आम आदमी को दिए जाते हैं, बनाने वालों को ही यह हथियार रखने का अधिकार नहीं है। हथियार निर्माता के परिवार वालों को ही ये हथियार नहीं मिल सकते। कहा गया था कि जिनका संस्कार, उद्देश्य, सक्षमता, जीवन पवित्र नहीं है, वे वेद कैसे पढ़ेंगेे, लेकिन जो वेद नहीं पढ़ सकते हैं, उनके लिए स्मृतियों, उपनिषदों का अवतरण हुआ।
मनु स्मृति सबसे पुरानी स्मृति है। कहा जाता है कि वेदों के बाद मनु हुए। वेदों की व्याख्या हुई, स्मृति आई। मनु जी ने उन्हें समाज, विश्व के लिए सरलीकृत किया। राजा होकर भी तपस्वी होना, परम फल प्राप्ति के लिए प्रयास करना और उसे प्राप्त करना पूरे विश्व के सामने आदर्श है। 
रामराज्य के संस्थापक को पुत्र के रूप में प्राप्त कर लेना। ईश्वर के द्वारा नियंत्रित और सभी प्रकार के उत्कर्ष को प्राप्त कर लिया। राम जी जिनके पुत्र हुए। ऐसे मनु जी के द्वारा जो ग्रंथ बना मनु स्मृति - यह दुनिया का पहला संविधान है। 
एक जगह मैंने पढ़ा था। मुस्लिम राष्ट्र के सुप्रीम कोर्ट में एक आदमकद की प्रतिमा लगी है महर्षि मनु की और लिखा है कि दुनिया के सर्वप्रथम संविधान के निर्माता महर्षि मनु। मनु ने हर तरह के जीवन को जीया, गृहस्थ आश्रम से वामप्रस्थ तक और अंत में भगवान को भी प्राप्त किया। राजा, पिता, पति, दादा के रूप में जीए, राम के पिता होने के रूप में जीवन। मनु स्मृति संपूर्ण संसार का शास्त्र है। मनु ने जो संविधान बनाया, जब किसी देश का पता नहीं था, तब वेदों के अभिप्राय को समझा और मनु स्मृति को प्रस्तुत किया। 
क्रमश:

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