Saturday, 4 November 2017

महर्षि मनु भाग - 6

: दुनिया के पहले संविधान निर्माता :
ईश्वर सबके लिए हैं, उनमें कोई पक्षपात नहीं है। वेदांत में पढ़ाया जाता है कि भगवान में कोई पक्षपात नहीं है। वैसे ही मनु के लिए भी कहा जाएगा कि वे कहीं भी पक्षपात नहीं करते। मनु का ज्ञान परिपक्व ज्ञान है। दुर्भाग्य है कि लोग मनु स्मृति का उपहास करते हैं, लोगों को कहा जाता है कि मनुवादी हैं। 
मनु ने जैसे जीवन को खड़ा किया, कैसे परिवार, समाज को खड़ा किया, कैसे उत्तम जीवन जीया। और दूसरी ओर, उनकी आलोचना करने वालों का जीवन कैसा है? क्या उनमें मनु जैसे तपस्वी राजा-महर्षि पर कुछ बोलने का अधिकार है? आज घृणित जीवन जीने वाले भी मनु को कोसते हैं। 
वर्गीकरण के बिना आज भी संसार नहीं चलता। हर जगह श्रेणियां हैं, उसी के अनुरूप मकान मिलते हैं, वेतन मिलता है, भत्ते मिलते हैं, सुविधाएं मिलती हैं। आप सोचिए, चपरासी को भी अगर आईएएस के समान सुविधाएं मिलने लगेंगी, तो कौन आईएएस बनने के लिए जीवन लगाएगा, मेहनत करेगा। 
वर्गीकरण तो होगा ही। सुंदर-असुंदर, त्यागी भोगी का वर्गीकरण होगा ही। गरीब-अमीर का वर्गीकरण होगा ही। मनु ने जो व्यवस्था प्रदान की, वह कोई ऐसे ही नहीं दे दिया, पहले उन्होंने अपने बच्चों में और प्रजा में इसका प्रयोग किया और उसके बाद संसार को दिया। 
चरित्र की शिक्षा वही दे सकता है, जो स्वयं चरित्रवान है। ज्ञानी ही ज्ञान दे सकता है। सभी को मनु स्मृति का पाठ करना चाहिए। कैसे हम अपने जीवन को धर्म से जोड़ें, हमें क्या जपना है, क्या करना है, कोई भी ऐसी चीज नहीं है, जिसे मनु ने अंतिम स्वरूप में नहीं कहा। 
मनु से किसी ने पूछा कि हम धर्म को कहां खोजने जाएं।
मनु ने उत्तर दिया कि वेद ही धर्म का उत्स है और कहीं जाने का अर्थ नहीं है, आप वेदों की शरण में जाइए। क्रमश:

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