Wednesday 25 February 2015

सर्वथा अनिन्दिता सीता


भाग - 2
महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है, हनुमान जी ने कहा, 'आज ही मैं आपको राक्षसों से मुक्त कर देता हूं। राक्षसों से मुक्ति पा जाएंगी, दुख सागर को पार कर लेंगी, आप मेरी पीठ पर विराजमान हों, मैं आपको आज ही मुक्त करवा देता हूं। भगवान श्रीराम के पास आपको ले चलता हूं।
जानकी जी को विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने कहा, 'मैं सक्षम हूं, आपको पीठ पर बैठाकर सागर को पार कर लूंगा। रावण सहित लंका को भी ढोने की क्षमता है, इतनी मुझमें शक्ति है, इसमें आप संदेह नहीं करें, निराश न हों, यह न सोचें कि मैं कैसे आपको लेकर जाऊंगा। आज ही भगवान तक आपको ले चलूंगा। आप आज ही राघव का दर्शन कर लेंगी, इसमें कोई बाधा नहीं आएगी। आपका  दर्शन प्राप्त करके राम जी का भी उत्साह बढ़ेगा, लक्ष्मण जी का भी उत्साह बढ़ेगा, ये सब अब बड़े निरुत्साही दिखते हैं, यह दुखद अवस्था भी उनकी समाप्त होगी। आपको देखकर वे पुन: उत्साह से भर जाएंगे।
ऐसा जानकी जी को हनुमान जी ने कहा, किन्तु जानकी जी उत्साह नहीं दिखा रही थीं, तो हनुमान जी ने कहा, 'आप मेरी उपेक्षा न करें, मैं जो कह रहा हूं, उससे पूर्ण रूप से सहमत होकर मेरी पीठ पर विराजमान हो जाएं। मेरे निवेदन की उपेक्षा न करें. 
भगवान की दया से जानकी जी सुन रही थीं। उनके मन में था, जब असुर पीछा करेंगे, तो क्या होगा?
हनुमान जी ने उत्तर दिया कि मैं आपको लेकर जब चलूंगा, तो सभी लंका निवासी भी मेरा पीछा नहीं कर सकते, उनमें सामर्थ्य नहीं है कि मुझे पीछे से पकड़ लें, जैसे मैं आया हूं उधर से, कहीं अवरोध नहीं हुआ और जो अवरोध हुआ, तो उसका समाधान मैंने किया। जैसे मैं आया था, वैसे ही चला जाऊंगा, आप इसके लिए कोई संदेह न करें। मैं आपको लेकर वापस चला जाऊंगा।
हनुमान जी की इन बातों को सुनकर जगदंबा जानकी विस्मित होती हैं, अंग-अंग हर्षित भी हैं और विस्मित भी हैं कि ये जोरदार बात कह रहे हैं। जानकी जी ने कहा, 'बहुत दूरी है, लंबा मार्ग है, आप कैसे मुझे लेकर जाने की इच्छा कर रहे हो, मुझे लगता है कि  आप वानर वाला स्वभाव प्रकट कर रहे हो, वानर इसी तरह से अभिव्यक्ति करता है, यह वानर स्वभाव लग रहा है, आपका छोटा शरीर है, बहुत छोटा, आप मुझे कैसे लेकर जाओगे भगवान श्रीराम के पास?'
हनुमान जी के शरीर को देखकर जानकी जी को विश्वास नहीं हो रहा है कि हनुमान उन्हें लेकर जा सकते हैं। विशाल कार्य के लिए अनुरूप शरीर भी तो होना चाहिए। क्रमशः

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