सीबीआई जांच या कुछ लोगों को जेल भेजने से भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा। यह भावना आनी चाहिए कि भ्रष्टाचार नहीं करके भी हम बड़े हो सकते हैं। जब तक यह विवेक जागृत नहीं होगा कि भ्रष्टाचार करने के बाद क्या कुफल होगा, तब तक भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा। किसी भी अच्छी चीज को देखकर, सुदर्शन पुरुष या सुंदर स्त्री को देखकर मन जाता है, अच्छा मकान देखकर भी मन बहकता है, किसी का सम्मान हो रहा हो, तो अपने मन को भी लगता है कि अपना भी सम्मान होता। यह भावना स्वाभाविक है, लेकिन इस भावना को नियंत्रित अनुशासित करने के लिए विवेक जरूरी है। यदि हम चरित्र सम्बंधी भ्रष्टाचार की बात करें, तो स्त्री और पुरुष का परस्पर आकर्षण स्वाभाविक है, उनकी जो संरचना है, उसे भगवान ने ही बनाया है। पुरुष का आकर्षण महिला के लिए, महिला का आकर्षण पुरुषों के लिए स्वाभाविक है।
दु:ख क्यों होता है?
दु:ख क्यों होता है?
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