भ्रष्टाचार को खत्म करना है, उसके खिलाफ आंदोलन करना है, तो आंदोलन करने वालों को सबसे पहले अपनी संपत्ति बतानी चाहिए। संपत्ति कितनी है, कैसे बढ़ी, कितनी बढ़ी है, कहां बढ़ी। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, यह तरीका सही है। शरीर अचानक बढ़ जाता है, तो डॉक्टर पता लगाते हैं कि शरीर क्यों बढ़ा है, शक्ति बढ़ गई है या कोई और कारण है। उसके लिए डॉक्टर जांच करते हैं। जांच मेरी भी होनी चाहिए, पहले साइकिल भी नहीं थी, किन्तु बाद में पैसा कहां से आया, श्रीमठ में मार्बल, ग्रेनाइट लगने लगा। देश में हर आदमी को अपनी आय बतानी चाहिए। छोटा महंत भी बताए, सेठ भी बताए, रामानंदाचार्य भी बताएं, रामदेव जी को भी बतलाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं, तो शंका के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। वैसे भी संन्यासी का जीवन खुला होता है, कुछ भी छिपा नहीं होता। जैसे संपत्ति आई है, आप डंके की चोट पर बताइए, कहां से आई, गलत आई है, तो आप सुधार कीजिए।
दु:ख क्यों होता है?
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