रामबहादुर राय
स्वामी रामानन्द ने जहां से भक्ति आंदोलन चलाया, वह काशी का पंचगंगा घाट है। उस पर श्रीमठ है। इस मठ का नामकरण अपने आप में भक्ति की गंगोत्री का प्रतीक है। श्री का अर्थ सीता से है। साफ है कि स्वामी रामानंद का भक्ति आंदोलन भगवान श्रीराम का गुणगान है। जब स्वामी रामानंद का सप्तशताब्दी महोत्सव मनाया गया, उसके अध्यक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री दिज्विजय सिंह थे, उस समय यह जाना जा सका कि वे संत पीपा के वंशज हैं। याद करिए कि स्वामी रामानंद के शिष्यों में एक पीपा भी थे। जो श्रीमठ था, वह स्वामी रामनरेशाचार्य से पहले श्रीहीन हो गया था। उसे जगाने में स्वामी रामनरेशाचार्य लगे हैं, विद्वानों का मानना है कि श्रीमठ बहुत विशाल था। आश्चर्य की बात है कि स्वामी रामानंद का विशाल आनंदमठ और श्रीमठ ऐतिहासिक रूप से प्राय: लुप्त हो गए। स्वामी रामानंद का वह विशाल वन, जिसमें हजारों संन्यासी रहते थे, सैंकड़ों सूफी, पचासों संत, फकीर, जंगम, जोड़े, नाथपंथी रहता करते थे, वहां लोगों के घर हैं।
दु:ख क्यों होता है?
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