Tuesday, 31 December 2024

सुख का कारण

लोगों को आज तक समझ में नहीं आया कि सुख का कारण क्या है? यदि सुख का कारण पत्‍नी है, तो जब से सृष्‍टि बनी है, ऐसी अनेक पत्नियां भी हुई हैं, जिन्होंने अपने पतियों को ही मार डाला, प्रेमियों के साथ मिलकर, धन के लिए या किसी अन्य कारण से। दूसरी बात, अगर जांच की जाए, तो सौ में से पांच लोग भी नहीं होंगे, जो पत्‍नी से सुख प्राप्‍त  कर रहे होंगे। कहीं वैचारिक भिन्नता है, तो कहीं किसी और प्रकार के  मतभेद हैं। ऐसे में कैसे सुख का कारण है पत्‍नी? दुनिया का कोई भी चिंतक यह निश्चित नहीं कर सकता है कि सुख का कारण पत्‍नी है, क्योंकि उससे दुख भी हो रहा है, उससे तमाम कठिनाइयां भी हो रही हैं, इसलिए हमारे चिंतकों ने बताया कि एक ही वस्तु तीन का काम करती है - सुख भी देती है, दुख भी देती है और मोह भी पैदा करती है।

सांख्य दर्शन का उदाहरण है, एक आदमी ने दूसरी शादी की, क्योंकि कोई पुत्र नहीं हो रहा था। दूसरी शादी से जो पत्‍नी आई, वह सुन्दर थी। वही सुन्दर स्त्री अपने पति को सुख देती है, अपनी सौत या पहली पत्‍नी को दुख देती है और जब घर से बाहर निकलती है, तो दूसरे लोगों को मोहग्रस्त करती है। एक से ही तीन भाव बने। पति को सुख, सौत को दुख और राहगीरों को मोह। हर पदार्थ के ये तीन गुण हैं। संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो केवल सुख ही देता हो।

इस कपड़े की बात करें, तो कई बार कपड़े में अटक कर ही कई लोग गिर जाते हैं, वस्त्र में उलझकर कइयों के पैर टूट गए। जो वाहन यात्रा सुख देते हैं, उन्हीं से कुचलकर हजारों लोग भी मरते हैं। भोजन से भी लोग मरते हैं, पेट खराब हो जाता है। कपड़ा हो या वाहन या भोजन या कुछ और हर चीज से सुख भी होता है, दुख भी होता है और मोह भी।

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