Tuesday, 31 December 2024

धर्म का ज्ञान

अब ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि धर्म का क्या मतलब है। धर्म का ऐसा क्रम जो जमीन से लेकर आकाश तक है। विद्यार्थी का, भाई का, मां का, पिता का ज्ञान। जिसमें धर्म नहीं होगा, वह पत्‍नी नहीं होगी। जिसको धर्म का ज्ञान नहीं होगा, वह पति नहीं बन सकेगा, जिसको धर्म का ज्ञान नहीं होगा, वह न छात्र बनेगा, न किसान बनेगा। धर्म के ज्ञान से ही कुछ बना जा सकता है।

विनोबा भावे कहते थे, जो मजदूर हैं, वही शेषनाग हैं, यदि ये नहीं होते, तो पृथ्वी को धारण कौन करता?

मेहतर माने महत्तर। महान काम जो करता है, उसको महत्तर बोलते हैं, वही बिगड़कर मेहतर हो गया। महत्त शब्द से तरप प्रत्यय करने पर महत्तर बनता है, दो में जो महान हो। अपना ही आदमी जब मल-मूत्र साफ करता है, तो बहुत मुश्किल से सुबह वाली बेला बीतती है, किन्तु जो दिन भर यही काम करता है, उसे महान का दर्जा होना ही चाहिए। किन्तु लोग उससे ही घृणा करने लगे। हमारे धर्म ने कभी यह नहीं कहा कि महत्तर से घृणा करो।

हमने कहा, तुम भी नहाकर आओ। वैसे बारह बजे तक जो झाड़ू लगाएगा, वह सुबह मंदिर कैसे आएगा, तो कहा गया, तुम शिखर का दर्शन करो, तो तुम्हें बराबरी का फल मिलेगा। इसमें क्या समस्या है? पति को एड्स हो जाए, तो पत्‍नी बोले कि मैं आपकी पत्‍नी हूं, लेकिन आप दूर रहेंगे, तो हमारा जीवन सुरक्षित होगा। क्या दिक्कत है, वह कैसे व्याभिचारिणी हुई? आचार का वर्गीकरण, विद्या का वर्गीकरण, धर्म का वर्गीकरण हो, किन्तु ईश्‍वर  के आधार पर घृणा नहीं होनी चाहिए। यहां तो भगवान ने सबरी को भी स्वीकार किया। कुब्जा जिसके सभी अंग टेढ़े-मेढ़े थे, लेकिन उसमें भावना आसक्ति की थी कि भगवान एक बार आलिंगन कर लें, भगवान ने इच्छा पूरी की, गले लगा लिया, तो सारे अंग ठीक हो गए, कुब्जा सुन्दरी हो गई।

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