Wednesday 16 November 2016

सती अनसूया जी : पति भक्ति अर्थात महाशक्ति

(जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी के प्रवचन से)

भारत में चरित्र निर्माण पर विशेष जोर रहा है। तमाम लोग जानते हैं कि अहिंसा का क्या महत्व है, फिर भी हिंसक हैं और सत्य का क्या महत्व है, फिर भी असत्य बोलते हैं। लोग अपने ज्ञान को परिपक्व नहीं बनाते हैं। ज्ञान को अपने चरित्र में नहीं उतारते हैं। कहा जाता है, धन नष्ट हुआ, तो कुछ नष्ट हुआ, शास्त्र नष्ट हुआ, तो कुछ ज्यादा नष्ट हुआ और यदि चरित्र नष्ट हुआ, तो सब कुछ नष्ट हो गया। भारत एक चरित्र प्रधान देश रहा है। यहां के संतों, गुरुओं, आचार्यों ने संपूर्ण संसार को ज्ञान का पाठ ही नहीं पढ़ाया, ज्ञान का परिपक्व स्वरूप भी संसार को दिया। इसके साथ ही अपने चरित्र में भी ज्ञान को उतारा। पूरी दुनिया को चरित्र की शिक्षा देने वाला देश भारत ही है। मनु ने भी यही कहा है। इसलिए भारत को विश्व गुरुत्व की प्राप्ति हुई।
भारत में पतिव्रता, पति परायणा महिलाओं का अस्तित्व का एक बहुत बड़ा पक्ष है, उन्नत अवस्था है। यदि कोई स्त्री है और पतिव्रता है, अपने पति को ही सब कुछ समझती है, उन्हीं के लिए आदर रखती है, स्नेह करती है और सेवा में समर्पित रहती है, उसके अतिरिक्त उसके जीवन का कोई और उद्देश्य नहीं होता, जो संपूर्ण बाहर और भीतर पति के लिए ही है, उसे पतिव्रता बोलते हैं। पति के लिए जिसके सभी व्रत हों, वो पतिव्रता। पति की प्रसन्नता, पति का विकास, पति से अनुकूलता, इसके लिए उन्हें पतिव्रता कहा जाता था। स्त्री जाति के संरक्षण, विकास, सुख के लिए, स्त्री जाति के जीवन की सार्थकता उत्तम चरित्र में है। 
शादी की जो प्रथा है, वह भी बहुत उपयोगी होती। यदि विवाह नहीं होता, तो सम्बंधों में बड़ा घृणित रूप हो जाता। जिसने विवाह की प्रथा को चलाया होगा, वह दुनिया का सबसे बड़ा आदमी होगा। वेद जो ईश्वर से प्राप्त होते हैं, जो संपूर्ण सृष्टि के नियामक हैं, उनके आधार पर भी जीवन परम ऊंचाई को प्राप्त कर सकता है। उसी क्रम में स्त्री जब शादी करके आती है, जब वह पत्नी बनती है, तो उसके लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है सबसे बड़ा अर्जन है, सबसे बड़ी औषधि व प्रेरणा है कि वह पतिव्रता धर्म का पालन करे। पति के लिए पूर्ण समर्पित हो जाए। अपने ज्ञान और अपनी इन्द्रीयों को किसी भी दूसरे उपक्रम में नहीं लगाए। समाज में जो आज कलह हो रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, कई तरह की कुरीतियां आती हैं, दूषण होते हैं, वो सब समाप्त हो जाएं। पत्नी पतिव्रता होती है, तो उसका बल बढ़ता है। पतिव्रता महिलाओं के प्रति लोगों का भी सम्मान बहुत ज्यादा होता है। संदेह में आजकल कई तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं, पत्नी यदि पति के लिए समर्पित न हो, तो परिवार टूट जाते हैं, परिवार टूटता है, तो समाज टूटता है। धीरे-धीरे ये टूटन पूरे राष्ट्र और मानवता को प्रभावित करता है। वस्तुत: दोनों एक दूसरे के पूरक बनकर जितना उत्पादन कर सकते हैं अपने लिए, परिवार, समाज, राज्य के लिए, उतना अलग-अलग होकर नहीं कर सकते। यह बहुत बड़ा दूषण समाज में है, पत्नी अगर पति के लिए पूर्ण समर्पित नहीं है, यदि मन उसका डोल रहा है, तो वह न अपने को सुख दे पाएगी, न पति को न परिवार को। भटकती रहेगी, भटकने की कोई सीमा नहीं है। आदमी रोज खाता है, लेकिन उसका कोई अंत नहीं है। कितने कपड़े हम पहन सकते हैं, सभी मकानों में हम ही रह लेंगे, तो कैसे होगा। अनावश्यक संपत्ति को अपने लिए आरक्षित करके हम कहीं के नहीं रहेंगे, सब संपत्ति मकान में ही खर्च हो जाएगी, फिर भी जीवन कठिन हो जाएगा, इसलिए संयम तो जरूरी है। 
क्रमश: 

No comments:

Post a Comment